Saturday, April 4, 2015

Poem Tatti

टट्टी मेरी प्यारी टट्टी।
शौचालय की रानी टट्टी।

सुबह-सुबह जब आये टट्टी,
घर आँगन महकाए टट्टी।

पीली टट्टी, काली टट्टी,
हाय रे मेरी न्यारी टट्टी।

कुदरत का दस्तूर निराला,
सब ही को है आये टट्टी।

खुलके जो न आये टट्टी,
सच्ची बड़ा सताए टट्टी।

लगातार जो आये टट्टी,
सबके होश उड़ाए टट्टी।

पेट के अन्दर फैक्ट्री ऐसी,
जो है रोज़ बनाये टट्टी।

यह मेसेज तुम भेजो सबको,
वरना रुक जाएगी टट्टी।

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